Health
दुनिया भर में अखरोट को माना जाता है सुपरफूड, जानिए इसके हेल्थ बेनिफिट्स

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अखरोट को दुनिया भर में सुपरफूड माना जाता है। ये ओमेगा-3 फैटी एसिड, अल्फा-लिनोलेइक एसिड, फाइबर, प्रोटीन, कॉपर से भरपूर होते हैं। इसके अलावा, अखरोट में एंटीऑक्सिडेंट, बायोटिन, मैंगनीज, मोलिब्डेनम, विटामिन ई और बी6 भी होता है। ऐसे में अगर आप अखरोट को अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो इसके कई सारे हेल्थ बेनिफिट देखने को मिल सकते हैं। आज हम आपको इनके कुछ हेल्थ बिनिफिट बताने जा रहे हैं।
ब्रेन हेल्थ और मेमोरी को बूस्ट करता है
अखरोट को ब्रेन फूड भी कहा जाता है। यह फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और अनसैचुरेटेड फैट का बेहतरीन स्त्रोत है। यह मस्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद है। ओमेगा- 3 फैटी एसिड से समृद्ध भोजन खाने से तंत्रिका तंत्र सुचारु रूप से काम करता है और याद्दाश्त में सुधार करता है। इससे स्मरण शक्ति और एकाग्रता बेहतर होती है और बुढ़ापे में कमजोर याद्दाश्त को खत्म करने में सक्षम है।
हृदय के लिए फायदेमेंद
अखरोट में बहुत सारे पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं। अखरोट में ओमेगा फैटी एसिड ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण यह कार्डियोवैस्कूलर सिस्टम के लिए बहुत लाभकारी होता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं जो कि हृदय के लिए फायदेमंद है। यह भी पाया गया है कि रोजाना केवल कुछ अखरोट खाने से ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिल सकती है, इसलिए हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
डिप्रेशन का खतरा कम
एक अध्ययन के मुताबिक अखरोट खाने से अवसाद यानी डिप्रेशन का खतरा कम हो जाता है और एकाग्रता का स्तर बेहतर होता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अखरोट खाने वाले लोगों में अवसाद का स्तर 26 प्रतिशत कम, जबकि इस तरह की अन्य चीजें खाने वालों में अवसाद का स्तर 8 प्रतिशत कम पाया है। इसके अलावा, अखरोट में विटामिन ई, बी 6, फोलेट और एलाजिक एसिड आपके नर्वस सिस्टम को नॉरिश करता है।
इम्यूनिटी बूस्टर
अखरोट एक इम्यूनिटी बूस्टर भी है। इसके एंटीऑक्सीडेंट तत्व आपके इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने के साथ साथ आपको हेल्दी और फिट बनाए रखते हैं। इसके अलावा, अखरोट आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित रखता है, बोन हेल्थ को बूस्ट करत है, त्वचा, बालों को पोषण देता है, कैंसर से बचाता है।
Health
Covid-19 Screening: जरूरी नहीं टेंपरेचर चेक करने वाला इंफ्रारेड थर्मामीटर दिखाए सही रीडिंग, हो सकती हैं ये गड़बड़ियां

आज कल आसानी से इंफ्रारेड थर्मामीटर देखने को मिल जाते हैं। जहां एक तरफ इंफ्रारेड थर्मामीटर का प्रयोग तेजी से बढ़ा है वहीं इनके द्वारा मापा गया तापमान की प्रमाणिकता को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।
यह साल अब खत्म होने वाला कुछ ही दिन शेष हैं। यह पूरा साल कोरोनावायरस के डर में बीता, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बेहतर हो रहे हैं। पिछले एक साल में पूरे विश्व में बहुत कुछ बदल गया। हमारे जीवन जीने की शैली, लोगों का आपस में व्यवहार और सबसे बड़ा परिवर्तन हमें अपने स्वास्थ्य पर देखने को मिला है। कोरोना काल में हमने बहुत से ऐसे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स भी देखे जिन्हें शायद कुछ लोगों ने अपने जीवन में पहली बार देखा होगा। ऐसा ही एक मेडिकल इक्यूपमेट हैं इंफ्रारेड थर्मामीटर। आज से कुछ महीने पहले तक हम शरीर का तापमान मापने के लिए केवल सामान्य थर्मामीटर का प्रयोग करते थे लेकिन जब से कोरोना वायरस का कहर दुनिया में टूटा है जब से कॉन्टैक्ट लेस यानी एनसीआईटी थर्मामीटर का प्रचलन काफी बढ़ गया है।
यह साल अब खत्म होने वाला कुछ ही दिन शेष हैं। यह पूरा साल कोरोनावायरस के डर में बीता, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बेहतर हो रहे हैं। पिछले एक साल में पूरे विश्व में बहुत कुछ बदल गया। हमारे जीवन जीने की शैली, लोगों का आपस में व्यवहार और सबसे बड़ा परिवर्तन हमें अपने स्वास्थ्य पर देखने को मिला है। कोरोना काल में हमने बहुत से ऐसे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स भी देखे जिन्हें शायद कुछ लोगों ने अपने जीवन में पहली बार देखा होगा। ऐसा ही एक मेडिकल इक्यूपमेट हैं इंफ्रारेड थर्मामीटर। आज से कुछ महीने पहले तक हम शरीर का तापमान मापने के लिए केवल सामान्य थर्मामीटर का प्रयोग करते थे लेकिन जब से कोरोना वायरस का कहर दुनिया में टूटा है जब से कॉन्टैक्ट लेस यानी एनसीआईटी थर्मामीटर का प्रचलन काफी बढ़ गया है।
ऑफिस हो, होटल हो, कॉर्पोरेट कंपनी हो या फिर स्कूल कॉलेज यहां तक कि हमें बस स्टॉप और रेलवे स्टेशन पर भी अब आसानी से इंफ्रारेड थर्मामीटर देखने को मिल जाते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए अब ज्यादा तक कॉन्टैक्ट लेस थर्मामीटर का ही प्रयोग किया जा रहा है। जहां एक तरफ इंफ्रारेड थर्मामीटर का प्रयोग तेजी से बढ़ा है वहीं इनके द्वारा मापा गया तापमान की प्रमाणिकता को लेकर कई तरह के सवाल भी अब उठने लगे हैं।
कई ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें इनके तापमान मापन को सही नहीं माना गया है। जॉन्स हॉपकिंस मेडिसिन और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए प्रयोग किया जा रहा नॉन कॉनटैक्ट थर्मामीटर एक प्रभावी कदम नहीं है।
कोरोना वायरस काल में अमेरिकी की एक पब्लिक एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने शरीर के तापमान के लिए कई तरह के दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमे बताया गया है कि नार्मल थर्मामीटर में 100।0 डिग्री फ़ारेनहाइट जबकि, वहीं इंफ्रारेड यानी NCIT थर्मामीटर से कोरोना के लक्षण में बुखार का तापमान 100।4 डिग्री फ़ारेनहाइट निर्धारित किया गया है।
लेखक, विलियम राइट नॉन कॉन्टैक्ट थर्मामीटक के बारे में लिखते हैं कि इंफ्रारेड की रीडिंग को कई कारक प्रभावित करते हैं। उन्होंने लिखा कि जब इंफ्रारेड थर्मामीटर से तापमान लिया जाता है, तो यह माथे और उसके आस पास के वातारण के तापमान से भी प्रभावित होता है। इसके अलावा कई बार कॉन्टैक्ट न होने के कारण मनुष्य के ब्लड शेल्स की गर्मी माप पाना बहुत मुश्किल होता है।
शोधकर्ताओं ने कई रिपोर्ट भी दिए हैं जिनके माध्यम से बाताय गया है कि संक्रमण से बचाव के लिए कॉन्टैक्ट लेस स्क्रीनिंग विफल रहता है। एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि 23 फरवरी, 2020 तक यूएस हवाई अड्डे पर 46000 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी लेकिन इनमें से केवल एक व्यक्ति के SARS-CoV-2 से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।
एक रिपोर्ट में कहा गया कि 17 जनवरी से 13 सितंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान लगभग 766,000 यात्रियों की स्क्रीनिंग हुई जिसमें 85 हजार लोगों में सिर्फ 0।001 % लोग ही SARS-CoV-2 से इंफेक्टेड पाए गए।
विलियम राइट ने लिखा कि इंफ्रारेड थर्मामीटर कई तरह से अलग अलग तापमान दिखाते है जिससे हमेशा ही संशय की स्थिति बनी रहती है कि आखिरकार व्यक्ति को बुखार है या नहीं।
उन्होंने समझाते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जब किसी में बुखार बढ़ता है, तो उस दौरान रक्त कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं और उनसे गर्मी बाहर नहीं निकलती और ऐसी स्थिति में जब इंफ्रारेड थर्मामीट से तापमान लिया जाता है तो वह सिर्फ माथे और स्किन के तापमान को मापता है।
राइट के अलावा कई ऐसी भी रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह बताया गया है कि एक ही समय में अलग अलग संपर्क रहित थर्मामीटर का प्रयोग करने पर शरीर का तापमान अलग अलग मिलता है।
कोरोना से ठीक होने के बाद भी शरीर में रह जाते हैं कुछ लक्षण, लोगों ने बयां किया दर्द
अंत में विलियम राइट ने यह निष्कर्ष निकाला कि SARS-CoV-2 से बचाव और संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए थर्मल स्क्रीनिंग और इंफ्रारेड थर्मामीटर गन्स का प्रयोग ज्यादा प्रभावी नहीं है इसलिए हमें संक्रमण से बचने के लिए और दूसरे कदम उठाने की जरूरत है।
Health
रणनीति बनाई: कोविड टॉस्क फोर्स ने कोरोना के नए स्ट्रेन को खोजने और काबू में करने की रणनीति बनाई

नई दिल्ली: कोविड-19 को लेकर बनाई गई नेशनल टॉस्क फोर्स (Covid-19 Task force) ने शनिवार को ब्रिटेन में सबसे पहले खोजे गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन (UK corona New Strain) को लेकर एक बैठक की. टॉस्क फोर्स ने इस बेहद संक्रामक स्ट्रेन को खोजने और नियंत्रण में रखने की निगरानी रणनीति पर चर्चा की. ब्रिटेन से लौटे और कोविड से संक्रमित पाए गए करीब 50 लोगों के नमूनों की एडवांस लैब में जा हो रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि वे कोरोना के नए स्ट्रेन की चपेट में तो नहीं हैं. जिलों के निगरानी अधिकारी उन यात्रियों की खोजबीन में जुटे हैं, जो पिछले एक माह के दौरान ब्रिटेन से लौटकर आए हैं.
टॉस्कफोर्स ने नियमित जीनोमिक सर्विलांस की जरूरत बताई है, ताकि कोरोना वायरस के विभिन्न स्ट्रेन (रूप) का पता लगाने के साथ उनकी निगरानी की जा सके. इसमें ब्रिटेन और अन्य देशों में फैल रहे कोरोना के स्ट्रेन शामिल हैं. इसके लिए ब्रिटेन से लौटे यात्रियों के अलावा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पांच फीसदी कोविड पॉजिटिव मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का निर्णय किया गया है.
जीनोमिक सर्विलांस कंसोर्टियम (INSACOG) नाम का समूह देश भर में कोरोना वायरस के स्ट्रेन की प्रयोगशाला और अन्य स्तरों पर निगरानी का काम करेगा. बयान में यह भी कहा गया है कि सभी आरएनए वायरस की तरह सार्स-कोव 2 भी लगातार म्यूटेट यानी रूप बदलता रहता है. ऐसे वायरस को सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई, मास्क पहननकर और वैक्सीन जैसे उपायों से नियंत्रित किया जा सकता है.
Health
सरकार तैयारी में: भारत में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सबसे पहले मंजूरी के आसार, जनवरी में टीकाकरण शुरू करने की तैयारी में सरकार

नई दिल्ली, पीटीआइ।कोरोना के खिलाफ जंग में देश को जल्द टीके के रूप में हथियार मिलने वाला है। अभी तक के संकेत बताते हैं कि भारत में सबसे पहले आपात प्रयोग की स्वीकृति ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके को मिल सकती है। यहां मंजूरी से पहले अधिकारी ब्रिटिश दवा नियामक के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। ब्रिटेन में दवा नियामक अगले हफ्ते ऑक्सफोर्ड के कोविशील्ड टीके को मंजूरी दे सकता है। इसके तुरंत बाद भारत में भी प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच जाएगी। भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट इस टीके को बना रहा है।
सुरक्षा का किया जाएगा आकलन
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को ब्रिटेन के दवा नियामक से मंजूरी मिलते ही भारत में इस संबंध में बैठक होगी। इस दौरान भारत एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में टीके के परीक्षण के नतीजों एवं इसकी सुरक्षा का आकलन किया जाएगा। इसके बाद टीके को आपात प्रयोग के लिए मंजूरी मिल सकती है।
कोविशील्ड का पलड़ा भारी
आपात प्रयोग के लिए आवेदन करने वाली हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी में वक्त लग सकता है, क्योंकि अभी इसका तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। वहीं अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने अब तक इस संबंध में प्रजेंटेशन नहीं दिया है। ऐसे में ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड भारत में मंजूरी पाने वाली पहली वैक्सीन हो सकती है।
-
Technology1 सप्ताह ago
शॉर्ट वीडियो स्पेस में टक्कर देने आया 'धकधक-इंडिया के दिल की धड़कन' ऐप
-
Health6 महीना ago
पाक में पोलियो अभियान चलाएंगे बिल गेट्स, इमरान को छोड़ आर्मी चीफ से की बात
-
Technology1 सप्ताह ago
Poco M3 स्मार्टफोन की पहली सेल शुरू हुई, मिल रहे ये शानदार ऑफर्स
-
Technology1 सप्ताह ago
Oppo A15s का नया वेरिएंट भारत में लॉन्च, जानें कीमत और फीचर्स
-
Technology1 सप्ताह ago
Redmi K40 में मिलेगा दुनिया का सबसे छोटा पंच-होल कटआउट, कंपनी ने किया कंफर्म
-
Technology1 सप्ताह ago
Mi 11 की कीमत लाॅन्च से पहले हुई लीक, जानें क्या होगा दाम
-
World1 सप्ताह ago
ब्रिटेन में लॉकडाउन खत्म करने की तैयारी लेकिन बाहर से आने वालों लागू किए गए नए नियम, तोड़ा तो होगी जेल
-
Technology6 दिन ago
Boat Rockerz 255 Pro+ वायरलेस इयरफोन भारत में हुआ लॉन्च, जानें क्या है कीमत